छप्पय छंद
छप्पय छंद
सबके प्रति निष्काम, भाव का पालन करना।
होय सत्य का संग,सोच प्रिय उत्तम रखना।।
दुख पहुँचाना मत कभी, दुख देने से दुख मिले।
सुख देना ही धर्म है, सुख की संस्कृति नित खिले।।
अहं वहम को त्याग कर,शांति का पाठक बनना।
धूर्त नहीं बनना कभी,सत्य की मूरत गढ़ना।।
मरता रहे गुमान, अगर पावनता मन में।
मानव होना स्वच्छ, कठिन है यह जीवन में।।
मन से यज्ञ करो सदा,होम कर हवि पावन से।
पुरुवाई का सुख मिले, बहे तेरे आवन से।।
खुद को दे दो दान में,आत्मा को जागृत करो।
बनकर पवन बहो सदा, पुण्य वायु सब में भरो।।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:12 PM
Nice
Reply
अदिति झा
12-Jan-2023 04:20 PM
Nice 👍🏼
Reply